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सम्मेत शिखर : एक महान तीर्थ

सम्मेत शिखर : एक महान तीर्थ

Jain Square | July 27, 2011 at 1:47 pm | Categories: Jainism | URL: http://wp.me/p1qid0-1q7

कालचक्र के प्रवाह में पर्वत पर एक संकट और आया । यह पहाड जगतसेठ को भेट स्वरुप मिला हुआ होने पर भी जगतसेठ द्वारा दुर्लक्ष्य हो जाने के कारण पालगंज राजा को दे दिया गया था । ई.सं. 1905-1910 के दरमियान पालगंज राजा को धन की आवश्यकता होने पर पहाड बिक्री करने या रहन रखने का सोचा उस पर कलकत्ता के रायबहादुर सेठ श्री बद्रीदास जी जौहरी मुकीम एवँ मुर्शीदाबाद निवासी महाराज बहादुरसिंहजी दुग्ड ने राजा की यह मनोभावना जानकर अहमदाबाद के सेठ आणन्दजी कल्याणजी पेढी को यह पहाड खरीदने के लिये प्रेरणा दी व सक्रिय सहयोग दिया । श्री आणन्दजी कल्याण जी पेढी ने दिनांक 01-03-1918 को रुपये दो लाख बयालीस हजार राजा को देकर यह पारसनाथ पहाड खरीदा जिससे पहाड पुनः जैन श्वेताम्बर संघ के अधीन आया । इस कार्य के लिए इन दोनों महानुभावों का सहयोग सराहनीय है ।

गिरिराज की तलहटी...

इस मार्ग से 3 कि.मी चलने के बाद विश्राम के लिए सुरम्य स्थली गंधर्व नाला आ जाता है । गंधर्वनाले पर श्वेताम्बर जैन धर्मशाला भी है । श्वेताम्बर पेढी की और से यहाँ गर्म पानी की भी व्यवस्था रहती है एवं सभी यात्रीयों के लिए भाते की भी व्यवस्था रहती है । आप कुछ दूर चले हैं कि आपकों दो मार्ग नजर आते है । बाएं हाथ का मर्ग गौतम स्वामी की टूंक का है और दायें हाथ का मार्ग पारसनाथ टूंक का है । चढते समय गौतम स्वामी टूंक जाना और उतरते समय पारसनाथ टूंक से आना उचित रहता है ।

सर्वप्रथम लब्धि निधान गणधर श्री गौतम स्वामी की टूंक पर पहुँचेंगे ।

दूसरी टूंक 17 वें तीर्थकर श्री कुंथुनाथ स्वामी की देहरी पर पहुँचते है

तीसरी टूंक श्री ऋषभानन शाश्वत जिन की टूंक है ।

इसके पास चौथी टूंक चन्द्रानन शाश्वत जिन टूंक है ।

इसी टूंक के पास पांचवी टूंक 21 वें तीर्थकर श्री नमिनाथ भगवान की है ।

छठी टूंक 18 वें तीर्थकर श्री अरनाथ भगवान की है.

सातवीं टूंक 19 वें तीर्थकर श्री मल्लिनाथ भगवान की टूंक .

आठवीं टूंक 11 वें तीर्थकर श्री श्रेयांसनाथ भगवान की टूंक.

नौंवी टूंक 9 वें तीर्थकर श्री सुविधिनाथ भगवान की टूंक.

दसवी टूंक 6 तीर्थकर श्री पद्‍मप्रभु भगवान की टूंक .

ग्यारहवीं टूंक 20 वें तीर्थकर श्री मुनिसुव्रत स्वामी की टूंक .

बारहवीं टूंक 8 वें तीर्थकर श्री चन्द्रप्रभु भगवान की .

तेरहवीं टूंक प्रथम तीर्थकर श्री ऋषभदेव भगवान .

चौंदहवीं टूंक 14 वें तीर्थकर श्री अनन्तनाथ भगवान की टूंक .

पंद्ररवीं टूंक 10 वें तीर्थकर श्री शीतलनाथ भगवान की टूंक .

सोलहवीं टूंक 3 रे तीर्थकर श्री संभवनाथ भगवान की है.

सतरहवीं टूंक 12 वें तीर्थकर श्री वासुपूज्य स्वामी भगवान की आती है ।

अठारवीं टूंक 4 तीर्थकर श्री अभिनंदन स्वामी की है . अब आप पहुँच रहे है

उनीसवीं टूंक – जल मंन्दिर .

बीसवीं टूंक श्री शुभ गणधर स्वामी

इक्कीसवीं टूंक 15 वें तीर्थकर श्री धर्मनाथ भगवान की है .

बाईसवीं टूंक वारिषेण शाश्वत जिन की टूंक है ।

तेईसवीं टूंक वर्धमान शाश्वत जिन की टूंक है ।

कुछ ही दूरी पर चौबीसवीं टूंक 5 वें तीर्थकर श्री सुमतिनाथ भगवान की है .

इससे आगे पच्चीसवीं टूंक 16 वें तीर्थकर श्री शांतिनाथ भगवान की है ।

छब्बीसवीं टूंक 24 वें तीर्थकर श्री महावीर स्वामी की है ।प्रभु का निर्वाण तो पावापुरी तीर्थ में हुआ था । यहाँ पर दर्शनार्थ उनके चरणों की स्थापना की गई है । चरण पादुकाएं सं. 1924 में यहाँ प्रतिष्ठित की गई हैं । वहाँ पर प्रभु ने अकेले ही कार्तिक अमावस्या के दिन निर्वाण पद को प्राप्त किया था ।

इससे आगे चलने पर सताइसवीं टूंक 7 वें तीर्थकर श्री सुपार्श्वनाथ भगवान की है ।

अटाईसवीं टूंक 13 वें तीर्थकर श्री विमलनाथ भगवान की है ।

उन्नतीसवीं टूंक 2 रे तीर्थकर श्री अजितनाथ भगवान की है । इस तीर्थ पर सर्वप्रथम मोक्ष प्राप्त करने वाले तीर्थकर भगंवन्त श्री अजितनाथ भगवान ही थे ।

तीसवीं टूंक 22 वें तीर्थकर श्री नेमिनाथ भगवान की है । प्रभु का निर्वाण तो गिरनार पर्वत पर हुआ था । यहाँ पर प्रभु के चरण दर्शनार्थ स्थापित किये गये है । वहाँ पर प्रभु ने एक हजार मुनियों के साथ आषाढ शुक्ला 8 के दिन निर्वाण पद को प्राप्त किया था ।

सम्मेत शिखर महातीर्थ की अंतिम और सर्वोच्च इकतीसवीं टूंक 23 वें तीर्थकर श्री पार्श्वनाथ भगवान की है । इस महातीर्थ पर अंतिम मोक्ष पद को प्राप्त करने वाले तीर्थकर श्री पार्श्वनाथ भगवान ही थे । इस तीर्थ का सबसे महत्वपूर्ण अंग भगवान पार्श्वनाथ की टूंक के दर्शन करना ही है । सच तो यह है कि यहाँ पर भगवान पार्श्वनाथ के निर्वाण प्राप्त करने के कारण यह तीर्थ विशेष श्रद्धेय हो गया । पार्श्वनाथ भगवान के निर्वाण के कारण ही लोग इस पर्वत को पारसनाथ हिल कहते है । यहाँ के रेल्वे स्टेशन का नाम भी पारसनाथ ही है । मंदिर जी तक पहुँचने के लिए पचहत्तर सीढियां बनाई गई है । इस समय आप समुद्र तल से 4479 फुट ऊपर है .